पत्रकारिता के क्षेत्र में श्री सुशील नाहर एक ऐसा नाम है जिसने न सिर्फ पत्रकारिता वरन् दैनिक भास्कर अखबार को भी नए आयाम दिए। हमेशा ऊर्जा भरे रहने वाले सुशील का जन्म 25 अगस्त 1955 को शहर के शिक्षाविद् श्री गेंदालाल नाहर (संस्थापक - राष्ट्रीय विद्यापीठ) एवं श्रीमती सुगन देवी के घर हुआ था। परिवार की पृष्ठभूमि आरएसएस से जुड़ी होने के बावजूद श्री नाहर ने पत्रकारिता के क्षेत्र में हमेशा निष्पक्षता ही बरती। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर सिटी रिपोर्टर उनका आगमन 1889 में तब हुआ जब श्री गोविंद वोरा दैनिक भास्कर के ब्यूरोचीफ थे। प्रतिभा के धनी सुशील दो साल में ही ब्यूरो चीफ बन गए।
1991 में एक विज्ञापन परिशिष्ठ का प्रकाशन किया था जिसमें करीब डेढ़ लाख रुपए के विज्ञापन थे। दैनिक भास्कर के पहले पुलआउट (4 पृष्ठीय) फेसिमिली संस्करण की शुरुआत भी ‘रतलाम भास्कर’ के रूप में की थी और दिग्गज व वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रकाश उपाध्याय को दैनिक भास्कर से जोड़ने में अहम् भूमिका निभाई। पत्रकारिता के साथ ही विज्ञापन व प्रबंधन में कुशल होने से दैनिक भास्कर प्रबंधन ने उन्हें हाथों हाथ लिया। कोटा, अजमेर और सीकर संस्करण की स्थापना में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही। रतलाम में भास्कर उत्सव का सिलसिला भी उन्हीं ने शुरू किया जिसमें चित्रकला प्रतियोगिता, विज्ञान प्रदर्शनी, कालिका माता मेले में लगने वाली 9 दिनी कला प्रदर्शनी व रैलियों का आयोजन प्रमुख है।
धारावाहिक रामायण में राम बने अभिनेता अरुण गोविल, महाभारत के भीष्म पितामह व शक्तिमान फेम मुकेश खन्ना, अभिनेता व अंतरराष्ट्रीय पहलवान दारा सिंह, फिल्म चाइना गेट के जगीरा मुकेश तिवारी आदि उन्हीं के कार्यकाल में रतलाम आए। भास्कर के रतलाम संस्करण की स्थापना पर ख्यात गज़ल गायक अहमद हुसैन – मोहम्मद हुसैन की गज़ल निशा श्री नाहर के निर्देशन में ही हुई थी।
नाहर दिल्ली और भोपाल में दैनिक भास्कर के लाइजनिंग अधिकारी रहे। अब यह जिम्मेदारी उनके पुत्र सिद्धार्थ नाहर संभाल रहे हैं। श्री नाहर जब भी किसी से मिलते या बात करते तो अभिवादन ‘भारत माता की जय’ बोल कर करते थे। 12 दिसंबर 2011 को वे दुनिया से विदा हो गए। वे व्यवहार में ‘सुशील’ किंतु लक्ष्य भेदने में ‘नाहर’ (शेर) थे।
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