स्व. श्री प्रकाश उपाध्याय का नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहद अदब से लिया जाता है। महज 17 साल की उम्र में ही पत्रकारिता में सक्रिय हुए उपाध्याय को लोगों से अपने मन की बात कहलवाने में महारथ हासिल थी।
फोटोजर्नलिस्ट गजानन शर्मा ‘माय डियर’ का जीवन परिचय – मोहम्मद रफ़ी से लेकर पृथ्वीराज कपूर तक का साथ, 6 दशकों तक प्रेस फोटोग्राफी में योगदान और भारतीय राजनीति, सिनेमा व खेल जगत की ऐतिहासिक झलकियों का साक्षात्कार।"
श्री देवकृष्ण व्यास रतलाम के निर्भीक पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी थे। उन्होंने ‘हिंदुस्तान’, ‘नवज्योति’ जैसे अखबारों में संपादक पद संभाला और रतलाम नगर पालिका अध्यक्ष व सामाजिक आंदोलनों में अहम योगदान दिया।
रतलाम के पत्रकारों में राजेंद्र भंडारी का सेवाकाल काफी कम रहा। उन्होंने अपने 4 साल 4 महीने और 4 दिन की पत्रकारिता में ही अपनी अलग पहचान बना ली थी जो अपने आप में उल्लेखनीय बात है।
पत्रकार स्व. श्री इंगित गुप्ता शारीरिक कद भले ही छोटा था लेकिन लेखन के मामले में उनका कद काफी बड़ा था। महज 45 वर्षीय जीवन के 25 वर्षों तक पत्रकारिता की और हर विधा में अपनी पहचान छोड़ी।
स्व. श्री कैलाश बरमेचा की पत्रकारिता सामान्य न होकर लोक कल्याणकारी रही। उनके द्वारा 1972 में 1000 प्रतियों के साथ रत्नपुरी नाम से अखाबार का प्रकाशन शुरू किया था।
जिस उम्र में लोग कॉपी में ठीक से कलम नहीं चला पाते ऐसे उम्र में श्री रमाकांत शुक्ल पत्रकारिता के संपर्क में आ गए थे। दरअसल यह उन्हें हुनर अपने पत्रकार पिता श्री रामनाथ शुक्ल से सीखने को मिला।
साहित्यकार एवं शिक्षाविद स्व. पं. रामनाथ शुक्ल वरिष्ठ पत्रकार भी थे। वे पूरे जीवन निष्ठावादी सिद्धांतों एवं प्रखर बिंदास अभिव्यक्ति के पुजारी बने रहे। उनकी पत्रकारिता एक आदर्श रही।
रतलाम जिले के जावरा शहर निवासी श्री आनंद सिंह छाजेड़ बेबाक-निडर राजनेता और पत्रकार रहे। पत्रकार मंडली उन्हें 'डैडी' पुकारती थी। एक बड़े अखबार ने उनका समाचार नहीं छापा तो खुद का ही अखबार सुरू कर दिया।
स्व. सुशील नाहर का स्मरण किए बिना रतलाम की पत्रकारिता की चर्चा करना बेमानी होगी। देश में दैनिक भास्कर का पहला फेसिममिली संस्करण की शुरुआत रतलाम से इन्हीं के नेतृत्व में हुई थी।