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प्रखर अभिव्यक्ति के पुजारी थे रतलाम की पत्रकारिता के भीष्म पितामह स्व. श्री रामनाथ शुक्ल

रतलाम पत्रकारिता जगत में भीष्म पितामह के नाम से विख्यात वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार एवं शिक्षाविद स्व. पं. रामनाथ शुक्ल सन् 1946 से रतलाम में सामाजिक सरोकार एवं जन समस्याओं को उठाने के लिये दैनिक समाचार पत्र ‘दैनिक मालवा’ से संबद्ध हुए। इसका प्रकाशन ‘जैनोदय प्रिटिंग प्रेस’ से होता था जिसमें आपने स्व. श्री मोहनलाल निर्मोही उपाध्याय के सान्निध्य में कार्य किया। श्री शुक्ल का जन्म 10 सितम्बर 1906 को रहली जिला सागर में हुआ था। म.प्र. और वर्तमान छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय समाचार पत्र ‘देशबंधु’ के साथ ही मालवा क्षेत्र के दैनिक पत्र ‘विश्व भ्रमण’ में भी सेवाएं दीं। पत्रकारों की समस्याओं को उठाने के लिये बने सशक्त संगठन ‘आंचलिक पत्रकार संघ’ के संस्थापक सदस्य रहते हुए सक्रिय योगदान दिया।

श्री शुक्ल के लिये आचंलिक पत्रकार संघ के संस्थापक संयोजक श्री विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि, -पूरे जीवन में निष्ठावादी सिद्धांत एवं प्रखर बिंदास अभिव्यक्ति के पुजारी श्री शुक्ल ने 98 वर्ष की आयु में भी अपने आप को वृद्ध नहीं होने दिया। वे सदैव सक्रिय रहे एवं प्रजातंत्र के चैथे स्तंभ के लिये एक आदर्श प्रस्तुत किया। आपने जिन समाचार-पत्र व पत्रिकाओं में लेखन कार्य किया जिनमें प्रमुख रूप से जनधर्म, धर्मयुग, कादम्बिनी, देहाती दुनिया और आगरा से प्रकाशित सैनिक व चेतना आदि हैं।

बहुआयामी व्यक्ति एवं प्रतिभा के धनी श्री शुक्ल का महाप्रयाण 18 मई 2004 को हुआ लेकिन बरगद का नियति के सम्मुख अचानक ढह जाना उनकी संस्कारी जड़ों का उखड़ जाना नहीं है। वे कहते आये हैं- ‘’जीवन संचित कर लिया जाए ऐसी कोई वस्तु नहीं है, जीवन यदि सार्थक बन जाए उससे बढ़कर कोई मुक्ति नहीं।”

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