जिसके रोम-रोम में पत्रकारिता समाई हुई थी, जिसका कर्म ही पत्रकारिता था, उसका जीवन भले ही अल्प था लेकिन जितना भी था पत्रकारिता को समर्पित था। परिवार, रिश्तेदार, नातेदार, दोस्त से ऊपर उसके लिए पत्रकारिता थी। वह पत्रकारिता के लिए जीता था और पत्रकारिता करते-करते ही वह असमय इस दुनिया से विदा हो गया। हम आपका ध्यान उस शख़्स की और इंगित कर रहे हैं जिसका नाम “इंगित” था।
इंगित गुप्ता रतलाम के पत्रकार जगत की एक ऐसी आलराउंडर शख़्सियत थी जिसको पत्रकारिता की तीनों विधाओं में महारत हासिल थी। लगभग 45 वर्ष की अल्प आयु में ही वह दुनिया छोड़ गया लेकिन अपने 25 वर्ष के पत्रकारिता जीवन में उसने प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल (डिजिटल) मीडिया के क्षेत्र में अपनी सक्रियता से अमिट छाप छोड़ी। इसके अतिरिक्त साक्षरता मिशन सहित कई शासकीय प्रकल्पों में भागीदारी और सक्रियता ने भी उसे एक अलग ही पहचान दी थी।
सच्चे सपूत का फ़र्ज़ निभाते हुए बुजुर्ग माता-पिता की सेवा का धर्म उसने पूरी “श्रवणता” के साथ निभाया लेकिन अपने छोटे से परिवार में तमाम समर्पण के बावजूद अर्द्धांगिनी और अपनी बेटी की उम्मीदों को परवान नहीं चढ़ा पाया, शायद ईश्वर को यही मंजूर था। ‘इंगित’ तुम्हें रतलाम प्रेस क्लब का प्रत्येक साथी कभी नहीं भूल पाएगा और तुम्हारी कमी कभी कोई पूरी नहीं कर पाएगा।
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