‘माय डियर’ सिर्फ एक संबोधन ही नहीं बल्कि यह एक शख्सियत का परिचय भी है। जी हां, हमारे फोटोजर्नलिस्ट ‘श्री (स्व.) गजानन शर्मा’ इसी नाम से जाने जाते रहे हैं। उन्हें यह नाम दिया था महान पार्श्व गायक श्री (स्व.) मोहम्मद रफी ने। फिल्म कलाकार श्री शेख मुख्तार, मधुबाला, कुंकुम एवं रोमादेवी (किशोर की पहली पत्नी और कथक नृत्यांगना) भी उन्हें इसी नाम से पुकारते थे और बाद में वे सभी के ‘माय डियर’ हो गए।
29 दिसंबर 1924 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्मे गजानन सिने स्थिर छायाकार और फिल्म कलाकार भी रहे। उनकी बीएससी (गणित) और बीए (अर्थशास्त्र) की पढ़ाई आगरा विश्वविद्यालय से हुई थी। 1945 में श्री शर्मा ने कलर फोटोग्राफी एवं 1948 में प्रथम फ्लैश फ़ोटोग्राफी कर तत्कालीन राज परिवार को आश्चर्यचकित कर दिया था। उन्होंने 1948 से 1970 तक 'शिव कन्या', 'दुर्गापूजा', 'पोस्टमास्तर', 'पैसा', 'कल सुबह' जैसी फिल्मों मेँ ‘निरूपा रॉय’, ‘ललिता पंवार’, ‘रहमान’, ‘कुंकुम’, ‘प्रशांत’ व ‘पृथ्वीराज कपूर’ जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ अभिनय किया।
मुंबई स्तिथ ‘पृथ्वी थिएटर’ में पृथ्वीराज कपूर द्वारा निर्देशित एवं अभिनीत कालजयी नाटकों ‘किसान’, ‘दीवार’, ‘पठान’, ‘आहुति’, ‘गद्दार’, ‘कलाकार, ‘पैसा’ और ‘शकुन्तला’ का देशभर में स्थिर चित्रण किया। 1956 में पृथ्वीराज कपूर द्वारा अभिनीत, निर्देशित एवं दिग्दर्शित तथा ‘आर. के. स्टूडियो’ में बनी फिल्म 'पैसा' के लिए स्थिर छायाकारी की। 1960 में प्रदर्शित एतिहासिक फिल्म 'मुगल-ए-आज़म’ में श्री कपूर के निजी छायाकार के रूप में स्थिर छायांकन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। श्री कपूर ने श्री शर्मा को 1956 में 'पृथ्वी थिएटर' में देश के सबसे त्वरित एवं दक्ष स्थिर छायाकार के रूप में अलंकृत किया। अभिनेता और शो-मैन ‘राज कपूर’ ने तो उन्हें कपूर परिवार का पारिवारिक छायाकार ही बना लिया था।
6 दशक की दीर्घ प्रेस फोटो पत्रकारिता में दक्ष छायांकन कला के कारण देश के विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं ‘धर्मयुग’, ‘फिल्मफेयर’, ‘कादिम्बनी’, ‘म.प्र. पंचायिका’, ‘नव भारत टाइम्स’, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘नई दुनिया’, ‘दैनिक भास्कर’, ‘शनिवार दर्पण’, ‘फ्री प्रेस जर्नल’, ‘साभार दर्शन’, ‘रतलाम दर्शन’, ‘प्रकाश किरण’ में जीवन के अंतिम दिनों तक निरंतर प्रकाशित होते रहे।
1964 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री ‘पं. जवाहरलाल नेहरू’ की स्वयं द्वारा छाया चित्रित एकल फोटो प्रदर्शनी आयोजित कर पं. नेहरू के विभिन्न आयाम जनता को प्रदर्शित किये। ‘माय डियर’ ने भारत की आज़ादी से पूर्व ब्रिटिश राज्य में अंग्रेजी हुकुमत से लेकर राजशाही और फिर स्वतंत्र भारत निर्माण तक के लंबे सफर में देश और दुनिया की जिन अति महत्त्वपूर्ण हस्तियों का प्रेस फोटो छायांकन किया उनमें देश के प्रथम राष्ट्रपति महामहिम ‘ड़ॉ. राजेन्द्र प्रसाद’, प्रधानमंत्री ‘श्री जवाहरलाल नेहरू’, ‘श्री लालबहादुर शास्त्री’, ‘श्रीमती इन्दिरा गांधी’, ‘श्री मोरारजी देसाई’, ‘श्री चौधरी चरण सिंह’, ‘श्री वी.पी. सिंह’, ‘श्री चंद्रशेखर’, ‘श्री अटल बिहारी वाजपेयी’, ‘श्री राजीव गांधी’ सहित पक्ष-विपक्ष के सभी राजनेता शामिल हैं। मध्य भारत से मध्य प्रदेश के बनने के सफर में अपनी जिन्दगी के अंतिम क्षणों तक सभी मुख्यमंत्रियों के चहेते रहे।
अपने शिक्षा काल में श्री शर्मा महान पार्श्व गायक ‘श्री किशोर कुमार’ के रूम-मेट, ‘श्री अटल बिहारी वाजपेयी’ तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति ‘श्री गोवर्धन्लाल ओझा’ के सहपाठी रहे और तत्कालीन मुख्यमंत्री ‘श्री प्रकाश चन्द्र सेठी’ के साथ खूब लॉन टेनिस खेला। हॉकी विजार्ड ‘श्री ध्यानचंद’, क्रिकेट में ‘कप्तान श्री मुश्ताक़ अली’, टेनिस के ‘श्री गौस मोहम्मद’, ‘श्री इफ्तेकार’ तथा टेबल टेनिस के ‘श्री जाल गोद्रेज’ के खेल साथी भी रहे। उन्होंने छायाकारिता के क्षेत्र में देश के सभी विश्वस्तरीय सर्कसों के विज्ञापन, औद्योगिक, मध्यप्रदेश शासन के सूचना प्रकाशन विभाग, प्रदेश के विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों तथा समाजसेवियों के लिये अनथक प्रेस फोटोग्राफी कर एक स्वर्णिम युग को जिया और अपनी छायांकन कला के जौहर, हंसमुख स्वभाव और मिलनसारिता से देश में अपना विशिष्ठ स्थान बनाया।
1937 से 1960 तक रतलाम राज्य के तत्कालीन महाराजा ‘श्री (स्व.) सज्जन सिंह’, कुंवर सर्वश्री ‘लोकेंद्रसिंह’, ‘रणवीरसिंह’ एवं राजकुमरियों के साथ अश्वारोही, हाथी व साइकिल पोलो तथा लॉन, क्ले व सीमेंट कोर्ट टेनिस, गोल्फ, घुड़सवारी, स्क्वैश, फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, टेबल टेनिस आदि खेलों में राजघराने के सदस्यों के सह खिलाड़ी रहते हुए ‘विक्टोरिया कॉलेज ग्वालियर’, ‘माधव कॉलेज उज्जैन’, ‘क्रिस्चियन कॉलेज’ व ‘यशवंत क्लब इंदौर’ में खेल प्रतियोगिताओं के चैंम्पियन रहे। ‘ललित कला वीथिका-1989 सम्मान’, ‘फिलाटेलिक सोसाइटी’ व ‘रोटरी क्लब’ का ‘लाइफ टाइम फ़ोटोग्राफी अचीवमेन्ट एंड एक्सिलेंस’ अवॉर्ड्स, ‘म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ’ सम्मान जैसे अलंकरण से भी श्री शर्मा नवाजे गए। मृदुभाषी एवं खुशमिज़ाज व्यक्तित्व के धनी श्री गजानन शर्मा ‘रतलाम प्रेस क्लब’ के सम्मानित सदस्य के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। ‘गजानन’ जैसी विशाल शख्सियत ‘माय डियर’ 10 जनवरी 2001 को इस दुनिया से अलविदा हो गई। उनकी छायाकारी की विरासत को अब उनके पुत्र लगन शर्मा सहेज रहे हैं।
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