सैलाना रियासत के कोठार (स्टोर) प्रभारी गणेशलाल व माता सांणीबाई उपाध्याय के यहां 4 जून 1933 को जन्मे श्री प्रकाश उपाध्याय तीखे तेवर वाले दबंग पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे जिससे भी साक्षात्कार लेते थे अपने मन की बात कहलवा ही लेते थे जो उनके अखबार की सुर्खी बनती। इसकी बानगी देखिए- कांग्रेस में काफी उथल-पुथल थी। तब वरिष्ठ नेता अर्जुनसिंह के इशारे पर अभा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ब्रह्मानंद रेड्डी से पूछ लिया- यदि इंदिरा गांधी उनसे इस्तीफा मांगेंगी तो क्या वे दे देंगे? रेड्डी भी जोश-जोश में ‘हां’ कह गए। ऐसा हुआ भी, इंदिरा गांधी ने उनसे इस्तीफा ले लिया जिसके बाद इंदिरा कांग्रेस का उदय हुआ।
इस प्रकाश का बतौर पत्रकार 1960 के दशक में उदय हुआ और वे ख्यात पत्रकार श्री देवकृष्ण व्यास, श्री दुलीचंद जैन, श्री धीरजलाल शाह, श्री राजेंद्र माथुर, श्री प्रभाष जोशी जैसे दिग्गज पत्रकारों के संपर्क में रहे। मध्य भारत प्रांत के मुख्यमंत्री श्री द्वारकाप्रसाद मिश्र, श्री प्रकाशचंद्र सेठी, श्री अर्जुनसिंह, श्री मोतीलाल वोरा, श्री सुंदरलाल पटवा, श्री कैलाश जोशी, श्री वीरेंद्रकुमार सकलेचा व पूर्व उपमुख्यमंत्री जमनादेवी की न सिर्फ घनिष्ठता रही वरन् वे उनकी लेखनी के कायल रहे। उपाध्याय देश के उन प्रमुख पत्रकारों में से एक रहे जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. श्री लालबहादुर शास्त्री, श्री चौधरी चरणसिंह, श्री मोरारजी देसाई, श्री गुलजारीलाल नंदा, इंदिरा गांधी व भारत-पाक युद्ध के दौरान भरतीय सेना के तत्कालीन जनरल मानेक शॉ के साक्षात्कार लिए जो विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित हुए। पं. शास्त्री ने तो रेलवे स्टेशन पर उनके कंधे पर हाथ रखकर टहलते-टहलते साक्षात्कार लिया था और तब वे युवावस्था की दहलीज पर कदम रख रहे थे।
उपाध्याय ने बस में कंडक्टरी भी और एलएलबी करने के बाद पत्रकारिता में आ गए। ‘नवभारत टाइम्स’ दिल्ली व मुम्बई के रतलाम प्रतिनिधि, ‘पीटीआई’ एवं ‘नईदुनिया’ में 40 वर्ष तक ब्यूरो चीफ और ‘दैनिक भास्कर’ के फेसिमेली संस्करण के स्थानीय संपादक भी रहे। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह ने मप्र प्रेस सलाहकार समिति का अध्यक्ष तथा तत्कालीन रेलमंत्री श्री माधवराव सिंधिया ने भारतीय रेल हिंदी सलाहकार समिति का सदस्य भी मनोनीत किया था। समाचार पत्र ‘प्रकाश किरण’ का प्रकाशन भी शुरू किया।
Share This News