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खादी, कलम और संघर्ष की मिसाल – जानिए श्री देवकृष्ण व्यास का जीवन

रतलाम से संबंध रखने वाले यशस्वी पत्रकारों में श्री देवकृष्ण व्यास का नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता है। निर्भीक पत्रकारिता में विश्वास रखने वाले श्री व्यास बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे जुझारू स्वतंत्रता सेनानी, कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता, समर्पित शिक्षक और प्रखर वक्ता भी थे।

22 फरवरी, 1928 को रतलाम में जन्मे श्री व्यास की मुख्य शिक्षा-दीक्षा ब्यावर और नवलगढ़ में हुई। श्री व्यास ने रतलाम और दिल्ली में अपने 60 से अधिक वर्ष के सक्रिय पत्रकारिता जीवन में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए।

1960 में रतलाम से दिल्ली आने के बाद वह हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप के दैनिक हिंदुस्तान से जुड़ गए थे। इस अखबार में उन्होंने लगभग तीस साल तक काम किया और इस दौरान वह इसके सह-संपादक भी बने। हिंदुस्तान से रिटायरमेंट के बाद श्री व्यास राजस्थान के दैनिक नवज्योति के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख बने। मालवा का प्रबल आकर्षण उन्हें एक बार फिर रतलाम खींच लाया, जहाँ उन्होंने 1997-98 के दौरान दैनिक चेतना के संपादक पद का दायित्व संभाला।

रतलाम के गोलीकांड ने बना दिया पत्रकार

16 जुलाई, 1946 को रतलाम में महंगाई-विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग हुई थी। श्री व्यास ने इस घटना की खबर टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स और नईदुनिया जैसे देश के प्रमुख अखबारों को भेजकर अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की।

श्री व्यास ने दिल्ली, मुंबई और इंदौर से प्रकाशित होने वाले हिन्दी और अंग्रेज़ी के हर बड़े अखबार के रतलाम संवाददाता के रूप में काम किया। 1945 से 1947 के दौरान उन्होंने प्रजामंडल और विद्यार्थी कांग्रेस के अंतर्गत स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।

1948 में वह रतलाम इंटर कॉलेज में अध्यापक बने, लेकिन शिक्षक संघ और पत्रकारिता की गतिविधियों के कारण उन्हें सरकार का कोपभाजन बनना पड़ा। ट्रांसफर किए जाने के बाद श्री व्यास सोशलिस्ट पार्टी में सक्रिय हो गए। वे युवावस्था में जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया जैसे नेताओं के विचारों से बेहद प्रभावित थे।

श्री व्यास रतलाम शहर में बहुत लोकप्रिय थे। उन्होंने 1958-59 में रतलाम नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इस पद पर निर्वाचित होने के समय उनकी उम्र मात्र 30 साल थी। यह उनके यशस्वी कैरियर की एक शानदार उपलब्धि थी।

सामाजिक सरोकार

श्री व्यास ने रतलाम में खादी और ग्रामोद्योग के प्रचार के लिए और आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के संदेश को गाँव-गाँव में पहुँचाने के लिए सक्रिय योगदान किया।

वे रतलाम के लोकप्रिय ट्रेड यूनियन नेता थे। वह रतलाम पोस्टमैन यूनियन, तांगा यूनियन, बैलगाड़ी यूनियन और होटल-हलवाई यूनियन जैसे संगठनों से संबद्ध रहे। इन यूनियनों के साथ श्री व्यास की संबद्धता समाज के कमजोर वर्गों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

श्री व्यास ने रतलाम के निकट बामनिया में मशहूर समाजवादी नेता मामा बालेश्वर दयाल के साथ मिलकर आदिवासियों और दलितों के उत्थान के लिए भी काम किया। उन्होंने छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जमकर आवाज उठाई और इसके लिए उन्होंने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों से टकराव की भी परवाह नहीं की।

दिल्ली में पत्रकारिता और अन्य योगदान

दिल्ली में पत्रकारिता की दूसरी पारी शुरू करने के बाद श्री व्यास दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स में सक्रिय हो गए। वह डीयूजे कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी के अध्यक्ष बने। उन्होंने नई दिल्ली में गुलमोहर पार्क जर्नलिस्ट कॉलोनी की स्थापना और उसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आध्यात्म तथा योग से जुड़े विषयों पर श्री व्यास की अच्छी पकड़ थी। वह एक अच्छे योग-शिक्षक भी थे। श्री व्यास का जीवन हमेशा सादगीपूर्ण रहा। खादी का सफेद झक कुर्ता-पायजामा उनकी विशिष्ट पहचान थी। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों से ही खादी को अपना लिया था और उनकी यह आदत जीवन-पर्यन्त बनी रही।

पारिवारिक जीवन और विरासत

88 वर्ष की आयु में 19 सितंबर, 2016 को नई दिल्ली में उनका निधन हुआ। उनके ज्येष्ठ पुत्र मुकुल व्यास के प्रारंभिक वर्ष रतलाम में बीते हैं। वे वरिष्ठ पत्रकार और विज्ञान लेखक हैं। नवभारत टाइम्स में नाइट एडिटर के पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपना स्वतंत्र लेखन जारी रखा। विज्ञान के विषयों पर उनके लेख समय-समय पर नवभारत टाइम्स, नई दुनिया, दैनिक भास्कर, अहा जिंदगी, दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका और दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित होते रहे हैं।

श्री देवकृष्ण व्यास के दूसरे पुत्र कमल व्यास का 1986 में एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था। 26 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने एक उदीयमान पत्रकार, रंगकर्मी और कवि के रूप में अपनी गहरी छाप छोड़ दी थी। वे अविवाहित थे।

व्यास जी के बड़े पौत्र निखिल व्यास ने परिवार में पत्रकारिता की परंपरा को आगे बढ़ाया। वे यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई) में वरिष्ठ संवाददाता हैं। दूसरे पौत्र जयंत व्यास आर्किटेक्ट हैं।

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