रतलाम प्रेस क्लब पत्रकारिता की गरिमा, स्वतंत्रता और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने वाली संस्था है। यह संस्था न केवल पत्रकारों के लिए एक साझा मंच है, बल्कि समाज और प्रशासन के बीच एक सेतु भी है। इसकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हमारे दूरदृष्टा एवं वरिष्ठ पत्रकारों ने रतलाम प्रेस क्लब संस्था की रख कर रखी थी। उनका योगदान हमारे लिए सदैव पथप्रदर्शक रहेगा। वरिष्ठों के अनुभव और मार्गदर्शन से ही रतलाम प्रेस क्लब ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। अध्यक्ष के रूप में इस गरिमामय परंपरा को और सुदृढ़ करना मेरी जिम्मेदारी है। हमारा संकल्प है कि हम पत्रकारों के हितों की रक्षा करते हुए, निष्पक्ष और रचनात्मक पत्रकारिता को बढ़ावा देंगे। साथ ही युवा पत्रकारों को सीखने-समझने का अवसर एवं समाजहित में कार्य करने के लिए समुचित मार्गदर्शन देगा।
अध्यक्ष - रतलाम प्रेस क्लब
अध्यक्ष
सचिव
कोषाध्यक्ष
उपाध्यक्ष
उपाध्यक्ष
उपाध्यक्ष
सह सचिव
सह सचिव
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
कार्यकारिणी सदस्य
विशेष आमंत्रित सदस्य
विशेष आमंत्रित सदस्य
विशेष आमंत्रित सदस्य
विशेष आमंत्रित सदस्य
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यन मंत्री, मप्र
रतलाम प्रेस क्लब सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में हमेशा आगे रहा है। यह चिंतन भी करता है और अपने दिवंगत पत्रकारों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाते हुए सदस्यों का सम्मान भी करता है। यहां के पत्रकारों ने अपनी लेखनी के बल पर देश ही नहीं, विदेश में भी पहचान बनाई है।
चेयरमैन - मप्र लोक सेवा आयोग
महर्षि नारद जी की ही तरह पत्रकारों को भी हर बात सबसे पहले पता चल जाती है। पत्रकार के पैरों के छालों से ही लोकतंत्र मजबूत और सुंदर होता है। कोई पत्रकार जितना भटकेगा और संवाद करेगा, समाज को उतना ही कम भटकना पड़ेगा। रतलाम के पत्रकारों में यह विशेष्य है।
पूर्व प्रधान संपादक - लोकसभा टीवी
देश की एकता और अखंडता को कोई नुकसान न हो, इसमें पत्रकारों अहम् भूमिका है। रतलाम के पत्रकारों और पत्रकारिता की दिशा हमेशा से सकारात्मक रही है। आज भी रतलाम जैसे छोटे शहरों से जो पत्रकारिता हो रही है, वह मौजूदा बाजारवाद के फेक नेरेटिव से दूर है।
पूर्व डीआईजी - रतलाम रेंज
अपनी 30 साल की पुलिस सेवा में कई जिलों में विभिन्न पदों पर रहने के दौरान रतलाम की पत्रकारिता को सर्वश्रेष्ठ पाया। यहां के पत्रकारों में जिम्मेदारी और समाज के प्रति कर्तव्य का गहरा भाव है। चंद महीनों में ही यहां के पत्रकारों से काफी नजदीकी हो गई।
पूर्व कलेक्टर - रतलाम
जिस जिले का प्रशासन, राजनेता और मीडिया सकारात्मक हों, उनमें समन्वय हो वहां समाज निश्चित तौर पर विकसित होता है। इस मामले में रतलाम प्रेस क्लब और यहां के पत्रकार बेहद सकारात्मक हैं। रतलाम प्रेस क्लब की अपने सदस्यों के सम्मान की परंपरा अनुकरणीय है।
पूर्व एसपी - रतलाम
पुलिस और पत्रकारों का काम लगभग एक जैसा ही है। इसलिए हमें एक-दूसरे का भाई कह सकते हैं। समाज में सृजन के लिए जितनी जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस की है, उतनी ही पत्रकारों की भी है। रतलाम की पत्रकारिता और पत्रकारों के मामले में मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा है।
स्व. श्री प्रकाश उपाध्याय का नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहद अदब से लिया जाता है। महज 17 साल की उम्र में ही पत्रकारिता में सक्रिय हुए उपाध्याय को लोगों से अपने मन की बात कहलवाने में महारथ हासिल थी।
फोटोजर्नलिस्ट गजानन शर्मा ‘माय डियर’ का जीवन परिचय – मोहम्मद रफ़ी से लेकर पृथ्वीराज कपूर तक का साथ, 6 दशकों तक प्रेस फोटोग्राफी में योगदान और भारतीय राजनीति, सिनेमा व खेल जगत की ऐतिहासिक झलकियों का साक्षात्कार।"
श्री देवकृष्ण व्यास रतलाम के निर्भीक पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी थे। उन्होंने ‘हिंदुस्तान’, ‘नवज्योति’ जैसे अखबारों में संपादक पद संभाला और रतलाम नगर पालिका अध्यक्ष व सामाजिक आंदोलनों में अहम योगदान दिया।
रतलाम के पत्रकारों में राजेंद्र भंडारी का सेवाकाल काफी कम रहा। उन्होंने अपने 4 साल 4 महीने और 4 दिन की पत्रकारिता में ही अपनी अलग पहचान बना ली थी जो अपने आप में उल्लेखनीय बात है।
पत्रकार स्व. श्री इंगित गुप्ता शारीरिक कद भले ही छोटा था लेकिन लेखन के मामले में उनका कद काफी बड़ा था। महज 45 वर्षीय जीवन के 25 वर्षों तक पत्रकारिता की और हर विधा में अपनी पहचान छोड़ी।
स्व. श्री कैलाश बरमेचा की पत्रकारिता सामान्य न होकर लोक कल्याणकारी रही। उनके द्वारा 1972 में 1000 प्रतियों के साथ रत्नपुरी नाम से अखाबार का प्रकाशन शुरू किया था।
जिस उम्र में लोग कॉपी में ठीक से कलम नहीं चला पाते ऐसे उम्र में श्री रमाकांत शुक्ल पत्रकारिता के संपर्क में आ गए थे। दरअसल यह उन्हें हुनर अपने पत्रकार पिता श्री रामनाथ शुक्ल से सीखने को मिला।
साहित्यकार एवं शिक्षाविद स्व. पं. रामनाथ शुक्ल वरिष्ठ पत्रकार भी थे। वे पूरे जीवन निष्ठावादी सिद्धांतों एवं प्रखर बिंदास अभिव्यक्ति के पुजारी बने रहे। उनकी पत्रकारिता एक आदर्श रही।
रतलाम जिले के जावरा शहर निवासी श्री आनंद सिंह छाजेड़ बेबाक-निडर राजनेता और पत्रकार रहे। पत्रकार मंडली उन्हें 'डैडी' पुकारती थी। एक बड़े अखबार ने उनका समाचार नहीं छापा तो खुद का ही अखबार सुरू कर दिया।
स्व. सुशील नाहर का स्मरण किए बिना रतलाम की पत्रकारिता की चर्चा करना बेमानी होगी। देश में दैनिक भास्कर का पहला फेसिममिली संस्करण की शुरुआत रतलाम से इन्हीं के नेतृत्व में हुई थी।
1990 के दशक और उसके बाद की पत्रकारिता में हिंदी पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान राह है। इस दौरान कई बड़े और हिन्दी समाचार पत्रों का प्रकाशन भी शुरू हुआ। ऐसा ही कुछ बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र जैन।
पत्रकारिता सिर्फ एक व्यवसाय नहीं है बल्कि यह एक मिशन है। रतलाम में आज भी पत्रकारिता मिशन के रूप में ही हो रही है। आइये, जानते हैं कि एक वरिष्ठ पत्रकार को नए दौर की पत्रकारिता से क्या उम्मीद है ?
रतलाम का पत्रकार भवन रतलाम प्रेस क्लब के पदाधिकारियों और सदस्यों की दृढ़ इच्छाशक्ति, मजबूत इरादों, जिद और जुनून की मिसाल है। पढ़िए, भवन के लिए कलमकारों के संघर्ष की कहानी।